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नमामि गंगे योजना

नमामि गंगे योजना: समग्र दृष्टिकोण के साथ पवित्र गंगा को पुनर्जीवित करना

भारत की नदियाँ इसकी सभ्यता की जीवनधारा हैं, और गंगा से अधिक पूजनीय कोई नहीं है। सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व से भरपूर यह राजसी नदी सहस्राब्दियों से भारतीय सभ्यता का उद्गम स्थल रही है। हालाँकि, पिछले कुछ वर्षों में, गंगा को गंभीर प्रदूषण का सामना करना पड़ा है, जिससे पर्यावरण और उस पर निर्भर समुदायों दोनों को खतरा है। इस गंभीर मुद्दे को संबोधित करने के लिए, भारत सरकार ने “नमामि गंगे योजना” शुरू की, जो एक महत्वाकांक्षी पहल है जिसका उद्देश्य गंगा को पुनर्जीवित करना और उसकी पवित्रता को बहाल करना है। यह लेख नमामि गंगे योजना के प्रमुख पहलुओं पर प्रकाश डालता है, इसके उद्देश्यों, रणनीतियों और इसके द्वारा पैदा किए जाने वाले प्रभाव की खोज करता है।

नमामि गंगे योजना की उत्पत्ति

नमामि गंगे योजना को 2014 में दोहरे फोकस के साथ एक एकीकृत मिशन के रूप में पेश किया गया था: प्रदूषण का प्रभावी उन्मूलन और गंगा का संरक्षण। लाखों भारतीयों के लिए नदी के महत्व को पहचानते हुए, इस पहल को न केवल एक पर्यावरणीय कार्यक्रम के रूप में बल्कि एक सामाजिक-आर्थिक हस्तक्षेप के रूप में भी डिजाइन किया गया था। सरकार ने राष्ट्रीय चेतना में गंगा के महत्व को रेखांकित करते हुए इस प्रयास के लिए ₹20,000 करोड़ का पर्याप्त बजट आवंटित किया।

नमामि गंगे योजना सिर्फ एक अन्य पर्यावरण परियोजना नहीं है। यह नदी संरक्षण के लिए एक समग्र दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक तकनीक के साथ जोड़ा गया है। यह पहल इस विश्वास पर आधारित है कि गंगा केवल एक जल निकाय नहीं है बल्कि एक पवित्र इकाई है जो पूरे उपमहाद्वीप में जीवन, संस्कृति और आध्यात्मिकता को बनाए रखती है।

नमामि गंगे योजना के उद्देश्य

नमामि गंगे योजना का प्राथमिक उद्देश्य गंगा में प्रदूषण को स्वीकार्य स्तर तक कम करना है। इसमें अनुपचारित सीवेज, औद्योगिक अपशिष्ट और ठोस अपशिष्ट सहित प्रदूषण स्रोतों की एक विस्तृत श्रृंखला से निपटना शामिल है। नमामि गंगे योजना का उद्देश्य नदी के पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित और पुनर्जीवित करना भी है, यह सुनिश्चित करना कि इसके पानी की गुणवत्ता जलीय जीवन का समर्थन करती है और मानव उपयोग के लिए सुरक्षित है।

नमामि गंगे योजना का एक अन्य महत्वपूर्ण उद्देश्य नदी से जुड़ी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत का संरक्षण है। गंगा महज़ एक नदी से कहीं अधिक है; यह पवित्रता का प्रतीक है और हिंदू पौराणिक कथाओं में एक केंद्रीय व्यक्ति है। गंगा को पुनर्स्थापित करके, नमामि गंगे योजना भविष्य की पीढ़ियों के लिए इस सांस्कृतिक विरासत की रक्षा करना चाहती है।

इसके अलावा, नमामि गंगे योजना नदी बेसिन के सतत विकास पर भी ध्यान केंद्रित करती है, जिसमें इसके किनारे रहने वाले लाखों लोगों की आजीविका में सुधार शामिल है। पहल का यह पहलू यह सुनिश्चित करता है कि क्षेत्र के पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखते हुए स्थानीय समुदायों की आर्थिक ज़रूरतें पूरी की जाएं।

प्रमुख रणनीतियाँ और हस्तक्षेप

अपने महत्वाकांक्षी उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए, नमामि गंगे योजना एक बहुआयामी रणनीति अपनाती है। कार्यक्रम के महत्वपूर्ण घटकों में से एक सीवेज उपचार बुनियादी ढांचे का निर्माण है। यह देखते हुए कि अनुपचारित सीवेज गंगा में प्रमुख प्रदूषकों में से एक है, नए सीवेज उपचार संयंत्रों (एसटीपी) का निर्माण और मौजूदा का उन्नयन नमामि गंगे योजना के केंद्र में हैं। ये सुविधाएं सुनिश्चित करती हैं कि नदी में प्रवेश करने वाले सीवेज को पर्यावरणीय मानकों के अनुरूप उपचारित किया जाए, जिससे प्रदूषण का भार कम हो सके।

नमामि गंगे योजना का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू औद्योगिक प्रदूषण का प्रबंधन है। इस पहल ने नदी के किनारे उद्योगों के लिए कड़े नियम पेश किए हैं, जिससे निर्वहन से पहले अपशिष्टों का उपचार अनिवार्य हो गया है। सरकार ने नमामि गंगे योजना के तहत इन नियमों का पालन करने के लिए उद्योगों को वित्तीय सहायता और तकनीकी सहायता भी प्रदान की है।

बिंदु-स्रोत प्रदूषण को संबोधित करने के अलावा, नमामि गंगे योजना कृषि अपवाह जैसे गैर-बिंदु स्रोतों को भी लक्षित करती है, जो गंगा के प्रदूषण में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। यह पहल नदी में हानिकारक रसायनों के प्रवाह को कम करने के लिए जैविक खेती और जैव उर्वरकों के उपयोग सहित स्थायी कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देती है।

नमामि गंगे योजना जन भागीदारी और जागरूकता पर भी महत्वपूर्ण जोर देती है। सरकार ने गंगा को स्वच्छ रखने के महत्व के बारे में जनता को शिक्षित करने के लिए कई अभियान शुरू किए हैं। सामुदायिक भागीदारी नमामि गंगे योजना की आधारशिला है, क्योंकि यह लोगों में नदी के प्रति स्वामित्व और जिम्मेदारी की भावना को बढ़ावा देती है।

उपलब्धियाँ एवं प्रभाव

अपनी स्थापना के बाद से, नमामि गंगे योजना ने गंगा में प्रदूषण के स्तर को कम करने में काफी प्रगति की है। सरकारी रिपोर्टों के अनुसार, नदी के किनारे के कई शहरों में पानी की गुणवत्ता में महत्वपूर्ण सुधार देखा गया है। नमामि गंगे योजना के तहत इन परिणामों को प्राप्त करने में कई सीवेज उपचार संयंत्रों का निर्माण और संचालन महत्वपूर्ण रहा है।

नमामि गंगे योजना की उल्लेखनीय सफलताओं में से एक वाराणसी में नदी की सफाई है, जो गंगा के किनारे सबसे प्रतिष्ठित शहरों में से एक है। वाराणसी के घाट, जो कभी प्रदूषण से ग्रस्त थे, नमामि गंगे योजना के तहत केंद्रित प्रयासों की बदौलत एक उल्लेखनीय परिवर्तन देखा गया है।

नमामि गंगे योजना इस उद्देश्य के लिए जनता का समर्थन जुटाने में भी सफल रही है। पहल के जागरूकता अभियान लाखों लोगों तक पहुंचे हैं, जिससे उन्हें पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं को अपनाने और नदी को प्रदूषित करने से बचने के लिए प्रोत्साहित किया गया है। नदी तटों की सफाई और रखरखाव में स्थानीय समुदायों की सक्रिय भागीदारी स्वच्छ गंगा के महत्व के बारे में बढ़ती सार्वजनिक जागरूकता का प्रमाण है।

चुनौतियाँ और आगे का रास्ता

सफलताओं के बावजूद, नमामि गंगे योजना को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। सबसे बड़ी बाधाओं में से एक कार्य का व्यापक स्तर है। गंगा 11 राज्यों से होकर बहती है, प्रत्येक की अपनी अनूठी चुनौतियाँ हैं। इतने विशाल क्षेत्र में प्रयासों के समन्वय के लिए कई हितधारकों के बीच सावधानीपूर्वक योजना और सहयोग की आवश्यकता होती है।

नमामि गंगे योजना के लिए एक और चुनौती नियमों को लागू करना है, खासकर औद्योगिक प्रदूषण से संबंधित। हालाँकि प्रगति हुई है, सभी क्षेत्रों में अनुपालन सुनिश्चित करना एक कठिन काम बना हुआ है। इसके अतिरिक्त, नवनिर्मित बुनियादी ढांचे का रखरखाव और संचालन दीर्घकालिक चुनौतियां पेश करता है जिन्हें नमामि गंगे योजना के तहत प्राप्त लाभ को बनाए रखने के लिए संबोधित करने की आवश्यकता है।

नमामि गंगे योजना के लिए जलवायु परिवर्तन एक और उभरती चुनौती है। बदलते मौसम के मिजाज और ग्लेशियरों के पिघलने के कारण पानी का प्रवाह कम होने से नदी के पारिस्थितिक संतुलन को खतरा है। इसलिए नमामि गंगे योजना को इन उभरते पर्यावरणीय खतरों से निपटने के लिए अपनी रणनीतियों को अनुकूलित करना होगा।

हालाँकि, नमामि गंगे योजना गंगा के भविष्य के लिए आशा की किरण बनी हुई है। निरंतर प्रतिबद्धता और नवीनता के साथ, इस पहल में नदी को उसके पूर्व गौरव को बहाल करने की क्षमता है। नमामि गंगे योजना सिर्फ एक नदी की सफाई के बारे में नहीं है; यह संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र को पुनर्जीवित करने और सदियों से पनप रही जीवन शैली को संरक्षित करने के बारे में है।

निष्कर्ष

नमामि गंगे योजना भारत की सबसे गंभीर पर्यावरणीय चुनौतियों में से एक का समाधान करने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास के रूप में खड़ी है। प्रदूषण उन्मूलन, पारिस्थितिकी तंत्र संरक्षण और सामुदायिक भागीदारी को एकीकृत करके, नमामि गंगे योजना नदी कायाकल्प के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण का प्रतीक है। पहल की सफलताएँ और चुनौतियाँ भारत और उसके बाहर भविष्य की पर्यावरण परियोजनाओं के लिए मूल्यवान सबक प्रदान करती हैं।

जैसे-जैसे नमामि गंगे योजना विकसित हो रही है, यह एक अनुस्मारक के रूप में कार्य करती है कि हमारी नदियों का स्वास्थ्य हमारी अपनी भलाई से अटूट रूप से जुड़ा हुआ है। नमामि गंगे योजना के तहत गंगा का पुनरुद्धार सिर्फ एक पर्यावरणीय आवश्यकता नहीं बल्कि एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक अनिवार्यता है। गंगा की सुरक्षा करके, नमामि गंगे योजना यह सुनिश्चित कर रही है कि यह पवित्र नदी आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहे और उनका पोषण करती रहे।

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स्वच्छ भारत अभियान: स्वच्छ भारत की ओर एक परिवर्तनकारी यात्रा

2014 में, भारत ने “स्वच्छ भारत अभियान” की शुरुआत के साथ स्वच्छता की दिशा में एक महत्वाकांक्षी और बहुत जरूरी यात्रा शुरू की। यह राष्ट्रव्यापी अभियान, जिसका अनुवाद “स्वच्छ भारत मिशन” है, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा एक स्वच्छ, स्वस्थ और अधिक स्वच्छ भारत बनाने की दृष्टि से शुरू किया गया था। तब से “स्वच्छ भारत अभियान” देश के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण आंदोलनों में से एक बन गया है, जिसका लक्ष्य खुले में शौच को खत्म करना, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार करना और नागरिकों के बीच नागरिक जिम्मेदारी की भावना पैदा करना है।

स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत

“स्वच्छ भारत अभियान” आधिकारिक तौर पर 2 अक्टूबर 2014 को महात्मा गांधी की 145वीं जयंती के अवसर पर शुरू किया गया था, जो स्वच्छता और स्वच्छता के कट्टर समर्थक थे। “स्वच्छ भारत अभियान” गांधी के स्वच्छ भारत के दृष्टिकोण के लिए एक श्रद्धांजलि थी, और इसका उद्देश्य गांधी की 150 वीं जयंती के अवसर पर 2 अक्टूबर 2019 तक “स्वच्छ भारत” के लक्ष्य को प्राप्त करना था।

“स्वच्छ भारत अभियान” ने ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में खुले में शौच की गंभीर समस्या का समाधान करने की कोशिश की, जो लंबे समय से भारत में एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती रही है। शौचालयों तक पहुंच प्रदान करके और व्यवहार परिवर्तन को बढ़ावा देकर, “स्वच्छ भारत अभियान” का उद्देश्य पूरे देश में खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) समुदाय बनाना है।

स्वच्छ भारत अभियान के उद्देश्य

“स्वच्छ भारत अभियान” का प्राथमिक उद्देश्य ग्रामीण और शहरी भारत में लाखों शौचालयों का निर्माण करके खुले में शौच को खत्म करना था। “स्वच्छ भारत अभियान” ने ठोस अपशिष्ट प्रबंधन प्रथाओं में सुधार, घरेलू और सामुदायिक शौचालयों के निर्माण को बढ़ावा देने और खाद बनाने के लिए जैव-निम्नीकरणीय कचरे के उपयोग को प्रोत्साहित करने पर भी ध्यान केंद्रित किया।

स्वच्छता के बुनियादी ढांचे पर ध्यान केंद्रित करने के अलावा, “स्वच्छ भारत अभियान” का उद्देश्य बड़े पैमाने पर अभियानों और शैक्षिक कार्यक्रमों के माध्यम से स्वच्छता और सफाई के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। “स्वच्छ भारत अभियान” ने मिशन के व्यापक लक्ष्यों को प्राप्त करने में व्यक्तिगत कार्यों के महत्व पर जोर देते हुए, स्वच्छता बनाए रखने में व्यक्तिगत और सामुदायिक जिम्मेदारी की भावना पैदा करने का प्रयास किया।

स्वच्छ भारत अभियान का कार्यान्वयन एवं प्रगति

“स्वच्छ भारत अभियान” को बहुआयामी दृष्टिकोण के माध्यम से लागू किया गया था जिसमें सरकारी एजेंसियों, गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ), निजी क्षेत्र और नागरिकों की सक्रिय भागीदारी शामिल थी। “स्वच्छ भारत अभियान” ने राज्यों और स्थानीय निकायों को अभियान का स्वामित्व लेने और स्थानीय जरूरतों को पूरा करने के लिए अपनी रणनीतियों को तैयार करने के लिए प्रोत्साहित किया।

“स्वच्छ भारत अभियान” की प्रमुख उपलब्धियों में से एक 2019 तक पूरे भारत में 100 मिलियन से अधिक शौचालयों का निर्माण था। इस महत्वपूर्ण प्रयास ने खुले में शौच की प्रथा को काफी हद तक कम कर दिया, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में जहां समस्या सबसे गंभीर थी। “स्वच्छ भारत अभियान” ने “स्वच्छता ही सेवा” (स्वच्छता ही सेवा है) पहल जैसे अभियानों के साथ व्यवहार परिवर्तन पर भी ध्यान केंद्रित किया, जिसने लाखों स्वयंसेवकों को स्वच्छता अभियान में भाग लेने के लिए प्रेरित किया।

ठोस अपशिष्ट प्रबंधन “स्वच्छ भारत अभियान” द्वारा संबोधित एक और महत्वपूर्ण क्षेत्र था। मिशन ने स्रोत पर कचरे को अलग करने, अपशिष्ट प्रसंस्करण संयंत्रों की स्थापना और कचरे को ऊर्जा में बदलने को बढ़ावा दिया। “स्वच्छ भारत अभियान” ने प्लास्टिक के उपयोग में कमी और टिकाऊ प्रथाओं को बढ़ावा देने को भी प्रोत्साहित किया।

स्वच्छ भारत अभियान का प्रभाव

“स्वच्छ भारत अभिठोस अपशिष्ट प्रबंधन “स्वच्छ भारत अभियान” द्वारा संबोधित एक और महत्वपूर्ण क्षेत्र था। मिशन ने स्रोत पर कचरे को अलग करने, अपशिष्ट प्रसंस्करण संयंत्रों की स्थापना और कचरे को ऊर्जा में बदलने को बढ़ावा दिया। “स्वच्छ भारत अभियान” ने प्लास्टिक के उपयोग में कमी और टिकाऊ प्रथाओं को बढ़ावा देने को भी प्रोत्साहित किया।यान” का लाखों भारतीयों के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा है। स्वच्छता सुविधाओं तक पहुंच प्रदान करके, “स्वच्छ भारत अभियान” ने सार्वजनिक स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण सुधार में योगदान दिया है, विशेष रूप से दस्त और हैजा जैसी जलजनित बीमारियों की घटनाओं को कम करके। “स्वच्छ भारत अभियान” के तहत शौचालयों के निर्माण से लड़कियों की स्कूल उपस्थिति में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिन्हें पहले उचित स्वच्छता सुविधाओं की कमी के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ता था।

इसके अलावा, “स्वच्छ भारत अभियान” ने स्वच्छता और स्वच्छता के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। व्यवहार परिवर्तन पर मिशन के जोर से सांस्कृतिक बदलाव आया है, सार्वजनिक और निजी दोनों स्थानों पर स्वच्छता प्राथमिकता बन गई है। “स्वच्छ भारत अभियान” ने अन्य स्वच्छता पहलों को भी प्रेरित किया है, जैसे “स्वच्छ गंगा मिशन”, जिसका उद्देश्य गंगा नदी को पुनर्जीवित करना है।

“स्वच्छ भारत अभियान” का वैश्विक मंच पर भारत की छवि पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। मिशन की सफलता को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली है, कई देशों ने अपनी स्वच्छता चुनौतियों के लिए समान मॉडल अपनाने में रुचि व्यक्त की है। इस प्रकार “स्वच्छ भारत अभियान” ने भारत को बेहतर स्वच्छता और स्वच्छता की दिशा में वैश्विक आंदोलन में अग्रणी के रूप में स्थापित किया है।

स्वच्छ भारत अभियान के समक्ष चुनौतियाँ

अपनी सफलताओं के बावजूद, “स्वच्छ भारत अभियान” को इसके कार्यान्वयन में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। प्राथमिक चुनौतियों में से एक मिशन के तहत प्राप्त परिणामों की स्थिरता सुनिश्चित करना है। जबकि “स्वच्छ भारत अभियान” लाखों शौचालयों का निर्माण करने में सफल रहा, इन सुविधाओं को बनाए रखना और उनका निरंतर उपयोग सुनिश्चित करना कुछ क्षेत्रों में एक चुनौती रही है।

एक अन्य चुनौती अपशिष्ट प्रबंधन का मुद्दा रही है। जबकि “स्वच्छ भारत अभियान” ने अपशिष्ट पृथक्करण और प्रसंस्करण को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण प्रगति की है, शहरी क्षेत्रों में उत्पन्न कचरे की विशाल मात्रा एक चुनौती बनी हुई है। इसलिए “स्वच्छ भारत अभियान” को बढ़ती मांगों के साथ तालमेल बनाए रखने के लिए अपशिष्ट प्रबंधन बुनियादी ढांचे में नवाचार और निवेश जारी रखना चाहिए।

इसके अतिरिक्त, “स्वच्छ भारत अभियान” को गहरी जड़ें जमा चुकी सांस्कृतिक प्रथाओं और मानसिकता से जूझना पड़ा है जो परिवर्तन के प्रति प्रतिरोधी हैं। हालाँकि मिशन ने व्यवहार परिवर्तन को बढ़ावा देने में काफी प्रगति की है, लेकिन स्वच्छता प्रथाओं की सार्वभौमिक स्वीकृति प्राप्त करना एक सतत चुनौती बनी हुई है।

स्वच्छ भारत अभियान के लिए आगे की राह

जैसे-जैसे “स्वच्छ भारत अभियान” आगे बढ़ रहा है, पिछले दशक की उपलब्धियों को आगे बढ़ाना और मौजूदा चुनौतियों का समाधान करना आवश्यक है। अब ध्यान “स्वच्छ भारत अभियान” के तहत प्राप्त लाभों की स्थिरता सुनिश्चित करने पर केंद्रित होना चाहिए। इसमें स्वच्छता के बुनियादी ढांचे को बनाए रखना और उन्नत करना, व्यवहार परिवर्तन को बढ़ावा देना जारी रखना और अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों को मजबूत करना शामिल है।

बढ़ते शहरीकरण और स्वच्छता पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव जैसी उभरती चुनौतियों के जवाब में “स्वच्छ भारत अभियान” को भी विकसित होते रहना चाहिए। मिशन की सफलता सरकार, नागरिक समाज और निजी क्षेत्र के बीच निरंतर सहयोग के साथ-साथ नागरिकों की सक्रिय भागीदारी पर निर्भर करेगी।

इसके अलावा, “स्वच्छ भारत अभियान” को देश भर में लोगों को प्रेरित और संगठित करना जारी रखना चाहिए। नागरिक जिम्मेदारी और सामुदायिक भागीदारी पर मिशन का जोर इसकी रणनीति के केंद्र में रहना चाहिए, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि सफाई और स्वच्छता सभी भारतीयों के दैनिक जीवन में शामिल हो जाए।

निष्कर्ष

2014 में शुरू किया गया “स्वच्छ भारत अभियान” एक परिवर्तनकारी पहल रहा है, जिसने स्वच्छता और स्वच्छता के प्रति भारत के दृष्टिकोण को नया आकार दिया है। खुले में शौच को ख़त्म करने, अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार और स्वच्छता की संस्कृति को बढ़ावा देने पर अपने ध्यान के माध्यम से, “स्वच्छ भारत अभियान” का सार्वजनिक स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक दृष्टिकोण पर गहरा प्रभाव पड़ा है।

हालाँकि चुनौतियाँ बनी हुई हैं, “स्वच्छ भारत अभियान” ने स्वच्छ और स्वस्थ भारत के लिए एक मजबूत नींव रखी है। जैसे-जैसे मिशन विकसित होता जा रहा है, यह एक ऐसे भविष्य के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा जहां प्रत्येक भारतीय को स्वच्छ और सुरक्षित स्वच्छता सुविधाओं तक पहुंच प्राप्त होगी, और जहां स्वच्छता को एक साझा जिम्मेदारी के रूप में महत्व दिया जाएगा।

“स्वच्छ भारत अभियान” सिर्फ एक सरकारी कार्यक्रम से कहीं अधिक है; यह एक जन आंदोलन है जिसमें स्थायी परिवर्तन लाने की शक्ति है। “स्वच्छ भारत अभियान” में समर्थन और भागीदारी जारी रखकर, हम सभी स्वच्छ भारत – सभी के लिए स्वच्छ भारत – के सपने को साकार करने में योगदान दे सकते हैं।

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स्किल इंडिया मिशन

भारत सरकार द्वारा 2014 में शुरू किया गया “कौशल भारत मिशन” भारतीय कार्यबल के परिदृश्य को बदलने के उद्देश्य से एक आधारशिला पहल रही है। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय नौकरी बाजारों के लिए प्रासंगिक कौशल सेट के साथ युवाओं को सशक्त बनाने पर अपने प्राथमिक ध्यान के साथ, “कौशल भारत मिशन” ने पिछले दशक में महत्वपूर्ण ध्यान और सफलता प्राप्त की है। यह ब्लॉग “स्किल इंडिया मिशन” की उत्पत्ति, उद्देश्यों और प्रभाव पर प्रकाश डालेगा, साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था के भविष्य को आकार देने में इसकी चल रही भूमिका की भी खोज करेगा।

कौशल भारत मिशन की उत्पत्ति

2014 में, भारत के जनसांख्यिकीय लाभांश की विशाल क्षमता को पहचानते हुए, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने “कौशल भारत मिशन” की शुरुआत की। उद्देश्य स्पष्ट था: उद्योगों के लिए आवश्यक कौशल और कार्यबल के पास मौजूद कौशल के बीच अंतर को पाटना। “कौशल भारत मिशन” की कल्पना तेजी से बदलते नौकरी बाजार, तकनीकी प्रगति और कुशल पेशेवरों की वैश्विक मांग से उत्पन्न चुनौतियों की प्रतिक्रिया के रूप में की गई थी। “स्किल इंडिया मिशन” एक साहसिक दृष्टिकोण के साथ शुरू किया गया था – वर्ष 2022 तक भारत में 40 करोड़ (400 मिलियन) से अधिक लोगों को विभिन्न कौशल में प्रशिक्षित करना। यह महत्वाकांक्षी लक्ष्य इस विश्वास पर आधारित था कि एक कुशल कार्यबल आर्थिक रूप से आगे बढ़ने के लिए महत्वपूर्ण है। विकास, बेरोजगारी कम करना और भारत को कुशल प्रतिभा के वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करना।

कौशल भारत मिशन के प्रमुख उद्देश्य :

“कौशल भारत मिशन” केवल प्रशिक्षण प्रदान करने के बारे में नहीं है; यह एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के बारे में है जो आजीवन सीखने और कौशल उन्नयन का समर्थन करता है। “कौशल भारत मिशन” का एक प्राथमिक उद्देश्य भारतीय कार्यबल के कौशल को उद्योगों की जरूरतों के साथ संरेखित करना है। इसमें उद्योग-प्रासंगिक पाठ्यक्रम विकसित करना, प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करना और व्यवसायों, शैक्षणिक संस्थानों और गैर-सरकारी संगठनों सहित विभिन्न हितधारकों के साथ साझेदारी बनाना शामिल है।

“कौशल भारत मिशन” का एक अन्य महत्वपूर्ण लक्ष्य उद्यमिता को बढ़ावा देना है। व्यक्तियों को अपना व्यवसाय शुरू करने और प्रबंधित करने के लिए आवश्यक कौशल से लैस करके, “कौशल भारत मिशन” का उद्देश्य नवाचार और आत्मनिर्भरता की संस्कृति को बढ़ावा देना है। यह ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जहां पारंपरिक रोजगार के अवसर सीमित हो सकते हैं। इसके अलावा, “कौशल भारत मिशन” समावेशिता पर ज़ोर देता है। इसका उद्देश्य महिलाओं, विकलांग लोगों और वंचित पृष्ठभूमि के लोगों के लिए समान अवसर प्रदान करना है। ऐसा करके, “कौशल भारत मिशन” एक अधिक न्यायसंगत समाज बनाना चाहता है जहां हर किसी को सफल होने का मौका मिले।

2015 से लेकर 2024 तक “Skill India Mission” से करोड़ों लोगों को लाभ प्राप्त हुआ है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, Pradhan Mantri Kaushal Vikas Yojana (PMKVY) और अन्य स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम्स के तहत इस अवधि में लगभग 12.9 करोड़ से अधिक लोगों को प्रशिक्षण दिया गया है।

इस अवधि के दौरान, “Skill India Mission” ने विशेष रूप से ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में युवाओं को रोजगारोन्मुख प्रशिक्षण देकर उनकी आजीविका को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। महिलाओं, दिव्यांगजनों, और अल्पसंख्यकों के समावेशी विकास पर भी विशेष ध्यान दिया गया है।

कौशल भारत मिशन के स्तंभ

“कौशल भारत मिशन” को कई प्रमुख पहलों और योजनाओं का समर्थन प्राप्त है, जिनमें से प्रत्येक को कौशल विकौशल भारत मिशन के स्तंभ कास के विभिन्न पहलुओं को संबोधित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) “कौशल भारत मिशन” के तहत प्रमुख कार्यक्रमों में से एक है। 2015 में लॉन्च किया गया, पीएमकेवीवाई विभिन्न क्षेत्रों में अल्पकालिक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम प्रदान करता है, जिससे प्रमाणन और रोजगार की संभावनाओं में सुधार होता है।

“कौशल भारत मिशन” का एक अन्य महत्वपूर्ण स्तंभ राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) है। एनएसडीसी कौशल विकास में निजी क्षेत्र की भागीदारी को सुविधाजनक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। निजी क्षेत्र की विशेषज्ञता और संसाधनों का लाभ उठाकर, “कौशल भारत मिशन” अपने प्रयासों को बढ़ाने और व्यापक दर्शकों तक पहुंचने में सक्षम हुआ है।

प्रशिक्षुता कार्यक्रम “कौशल भारत मिशन” का एक और महत्वपूर्ण घटक है। यह व्यक्तियों को नौकरी पर प्रशिक्षण प्रदान करता है, जिससे उन्हें वजीफा अर्जित करने के साथ-साथ व्यावहारिक अनुभव प्राप्त करने की अनुमति मिलती है। इससे न केवल उनकी रोजगार क्षमता बढ़ती है बल्कि उद्योगों को प्रतिभा की पहचान करने और उसका पोषण करने में भी मदद मिलती है।

कौशल भारत मिशन का प्रभाव

2014 में अपनी शुरुआत के बाद से, “कौशल भारत मिशन” ने भारतीय कार्यबल को बदलने में महत्वपूर्ण प्रगति की है। लाखों व्यक्तियों ने विभिन्न योजनाओं के तहत प्रशिक्षण प्राप्त किया है, जिससे रोजगार के अवसरों में सुधार हुआ है और वेतन में वृद्धि हुई है। “स्किल इंडिया मिशन” ने विभिन्न उद्योगों में कौशल अंतर को कम करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे अर्थव्यवस्था की समग्र उत्पादकता में योगदान मिला है।

“कौशल भारत मिशन” की उल्लेखनीय सफलताओं में से एक इसका ग्रामीण क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना है। दूरदराज के स्थानों में प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करके, “कौशल भारत मिशन” ने अनगिनत व्यक्तियों को सशक्त बनाया है जिनकी अन्यथा ऐसे अवसरों तक सीमित पहुंच होती। इससे ग्रामीण रोजगार में वृद्धि हुई है और शहरी क्षेत्रों में प्रवासन में कमी आई है।

“कौशल भारत मिशन” का कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। पारंपरिक रूप से पुरुषों के प्रभुत्व वाले क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्रदान करके, “कौशल भारत मिशन” ने महिलाओं के लिए नए रास्ते खोले हैं, जिससे श्रम बाजार में लैंगिक समानता को बढ़ावा मिला है।

चुनौतियाँ और आगे का रास्ता

हालांकि “कौशल भारत मिशन” ने काफी सफलता हासिल की है, लेकिन इसकी चुनौतियां भी कम नहीं हैं। “कौशल भारत मिशन” के सामने आने वाली प्रमुख बाधाओं में से एक प्रशिक्षण की गुणवत्ता सुनिश्चित करना है। पाठ्यक्रम के मानकीकरण और प्रशिक्षकों की योग्यता को लेकर चिंताएँ रही हैं। इसे संबोधित करने के लिए, “कौशल भारत मिशन” को प्रशिक्षण की गुणवत्ता में सुधार लाने और यह सुनिश्चित करने के लिए निवेश करने की आवश्यकता है कि यह वैश्विक मानकों को पूरा करता है।

एक और चुनौती प्लेसमेंट का मुद्दा है. हालांकि “कौशल भारत मिशन” लाखों लोगों को प्रशिक्षण प्रदान करने में सफल रहा है, लेकिन इन कौशलों को वास्तविक रोजगार के अवसरों में तब्दील करना एक चुनौती बनी हुई है। इसलिए “कौशल भारत मिशन” को उद्योगों के साथ अपनी साझेदारी को मजबूत करने और यह सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए कि प्रदान किया गया प्रशिक्षण वर्तमान और भविष्य की नौकरी बाजार की मांगों के अनुरूप है।

इसके अलावा, “कौशल भारत मिशन” को बदलते तकनीकी परिदृश्य के अनुरूप ढलना जारी रखना चाहिए। स्वचालन और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के बढ़ने के साथ, काम की प्रकृति तेजी से विकसित हो रही है। इसलिए “कौशल भारत मिशन” को कार्यबल को उन्नत और पुनः कुशल बनाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे नौकरी बाजार में प्रासंगिक बने रहें।

निष्कर्ष

2014 में शुरू किया गया “स्किल इंडिया मिशन” भारत में कौशल विकास के क्षेत्र में गेम-चेंजर रहा है। उद्योग-प्रासंगिक प्रशिक्षण प्रदान करके, उद्यमिता को बढ़ावा देकर और समावेशिता सुनिश्चित करके, “कौशल भारत मिशन” ने भारतीय अर्थव्यवस्था और समाज पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है। हालाँकि, अपनी क्षमता को पूरी तरह से साकार करने के लिए, “कौशल भारत मिशन” को अपने सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान जारी रखना चाहिए और वैश्विक नौकरी बाजार की बदलती गतिशीलता के जवाब में विकसित होना चाहिए।

जैसे-जैसे भारत एक वैश्विक आर्थिक महाशक्ति बनने की दिशा में अपनी यात्रा जारी रख रहा है, “कौशल भारत मिशन” निस्संदेह राष्ट्र के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। युवाओं को सफल होने के लिए आवश्यक कौशल से सशक्त बनाकर, “कौशल भारत मिशन” सिर्फ नौकरियां पैदा नहीं कर रहा है; यह लाखों भारतीयों के लिए बेहतर कल का निर्माण कर रहा है।

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अटल पेंशन योजना

परिचय : अटल पेंशन योजना (एपीवाई) भारत में सरकार समर्थित पेंशन योजना है। इसे भारत सरकार द्वारा 2015 में लॉन्च किया गया था।

उद्देश्य : Apy का मुख्य उद्देश्य असंगठित क्षेत्र के उन श्रमिकों को पेंशन प्रदान करना है जिनकी औपचारिक पेंशन योजनाओं तक पहुंच नहीं है।

पात्रता : इस योजना में 18 से 40 वर्ष की आयु का कोई भी भारतीय नागरिक शामिल हो सकता है।

योगदान : सब्सक्राइबर्स को योजना के लिए नियमित योगदान करना होगा। योगदान मासिक/तिमाही/छमाही अंतराल पर बचत बैंक खाता/ग्राहक के डाकघर बचत बैंक खाते से ऑटो डेबिट सुविधा के माध्यम से किया जा सकता है। योगदान राशि प्रवेश की आयु और चुनी गई पेंशन राशि पर निर्भर करती है।

पेंशन राशियाँ : Apy के तहत मामला निश्चित मासिक पेंशन राशि प्रदान करता है। 1,000 से रु. 5,000, किए गए योगदान पर निर्भर करता है।

प्रवेश आयु और योगदान : कोई व्यक्ति जितनी जल्दी शामिल होगा, मासिक योगदान उतना ही कम होगा। योगदान 60 वर्ष की आयु तक किया जाना है।

नामांकित व्यक्ति/पति/पत्नी के लिए गारंटीशुदा पेंशन : ग्राहक की मृत्यु की स्थिति में, पति/पत्नी को समान पेंशन राशि प्राप्त होगी। यदि ग्राहक और पति/पत्नी दोनों की मृत्यु हो जाती है, तो धनराशि नामांकित (Nominee) सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति को दे दी जाएगी।

डिफ़ॉल्ट और जुर्माना : यदि कोई ग्राहक नियमित योगदान करने में विफल रहता है, देरी से योगदान के लिए अतिदेय ब्याज के साथ अगले महीने में भुगतान करना होगा। बैंकों को प्रत्येक देरी मासिक योगदान के लिए प्रत्येक 100 रुपये में देरी के 1 रुपये प्रति माह शुल्क लगाया जाता है और खाता फ्रीज किया जा सकता है।

निकास और निकासी : ग्राहक 60 वर्ष की आयु तक पहुंचने के बाद ही योजना से बाहर निकल सकता है। बाहर निकलने पर, ग्राहक या तो धनराशि निकाल सकता है या मासिक पेंशन का विकल्प चुन सकता है।

नामांकन और प्रशासन : Apy खाते बैंकों और नामित डाकघरों के माध्यम से खोले जा सकते हैं।इस योजना का संचालन पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण (PFRDA) द्वारा किया जाता है।

कर(Tax) लाभ : Apy में किया गया योगदान आयकर अधिनियम की धारा 80 CCD के तहत कर लाभ के लिए पात्र है।

सामाजिक सुरक्षा : APY का उद्देश्य असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए सुरक्षा जाल प्रदान करना, बुढ़ापे के दौरान आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना है।

अटल पेंशन योजना कैसे रद्द करें?

अटल पेंशन योजना को रद्द करने के लिए, आपको इन चरणों का पालन करना होगा. :

उस बैंक या डाकघर में जाएँ जहाँ आपने शुरू में अटल पेंशन योजना में नामांकन कराया था। संबंधित अधिकारियों से रद्दीकरण (cancellation) फॉर्म या आवेदन का अनुरोध करें। रद्दीकरण (cancellation) फॉर्म सटीक विवरण के साथ भरें। अपना अटल पेंशन योजना खाता नंबर, व्यक्तिगत विवरण और रद्द करने का कारण भी जरूर लिखे। बैंक या डाकघर द्वारा निर्दिष्ट कोई भी आवश्यक दस्तावेज़(Document) साथ में रखे।आवश्यक दस्तावेजों(Document) के साथ पूरा रद्दीकरण(cancellation) फॉर्म संबंधित अधिकारियों को जमा करें। एक बार आपका अनुरोध संसाधित हो जाने पर, आपको रद्दीकरण की पुष्टि प्राप्त होगी। रद्दीकरण के लिए किसी भी अतिरिक्त आवश्यकता या प्रक्रिया के लिए उस विशिष्ट संस्थान से परामर्श करना याद रखें जहां आपने योजना में नामां

निम्लिखित कितने राशि पर कितना पेंशन प्राप्त होगा । पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते है।

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डाक घर बचत योजना 2022: POST OFFICE SCHEME (FD, RD, PPF, NSC)

डाक घर (Post office) भारत का सबसे पुराना और भरोसेमंद है । भारतीय डाक सेवा की स्थापना यूं तो 166 साल पहले एक अप्रैल 1854 को हुई थी लेकिन सही मायनों में इसकी स्थापना एक अक्तूबर 1854 को मानी जाती है। उस वक्त ईस्ट इंडिया कंपनी के अंतर्गत आने वाले 701 डाकघरों को मिलाकर भारतीय डाक विभाग की स्थापना हुई थी । पोस्ट ऑफिस बैंक की तरह ही कई सारे बचत योजनाएं देश भर में चलाती है। जिससे लोगो की पैसे बच सके और भविष्य में आने वाले पैसे की दिकत को टाला जा सके । आज हम आपको इस लेख के माध्यम से पोस्ट ऑफिस बचत योजना( savjng schem) 2022 से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने जा रहे हैं। जैसे कि पोस्ट ऑफिस सेविंग स्कीम में आवेदन करने की प्रक्रिया, उद्देश्य, पोस्ट ऑफिस सेविंग स्कीम के प्रकार, पात्रता, लाभ आदि। पूरी जानकारी के लिए लेख के अंत तक बने रहे।

TABLE OF CONTENT
1. डाक घर बचत योजना 2022
2. डाक घर बचत योजना 2022 का उद्देश्य
3. डाक घर बचत योजना के प्रकार
0.1 सुकन्या समृद्धि योजना
0.2 पब्लिक प्रोविडेंट फंड(PPF account)
0.3 रिकरिंग डिपोजिट
0.4 पोस्ट ऑफिस टाइम डिपोजिट योजना
0.5 नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट
0.6 सीनियर सिटीजन बचत योजना
0.7 किसान विकाश पत्र
0.8 पोस्ट ऑफिस मंथली इनकम स्कीम

डाक घर बचत योजना 2022

भारतीय डाक देश का सबसे पुराना है और साथ ही सबसे अधिक भरोसेमंद भी माना जाता है। इंडियन पोस्ट देश की डाक श्रृंखला को नियंत्रित करती है । लेकिन डाक श्रृंखला को नियंत्रित करने के साथ ही इंडिया पोस्ट निवेशकों के लिए काफी सारे डिपॉजिट सेविंग स्कीम भी चलाती है। जिन्हें हम पोस्ट ऑफिस सेविंग स्कीम या फिर डाकघर बचत योजना के नाम से जानते हैं । डाक घर बचत योजना में निवेश करने पर निवेशकों को उच्च ब्याज दर भी प्राप्त होता है, किसी जरूरत मंद को लोन भी प्रदान करती है। साथ ही 80C के अंतर्गत कर में भी छूट (Income tax) दी जाती है । इसके साथ ही और भी कई सारे योजनाएं चलाई जाती है, जैसी की पब्लिक प्रोविडेंट फंड, सुकन्या समृद्धि योजना, नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट आदि। इन सभी योजनाओं के बारे में हम आपको इस लेख में बताएंगे ।

डाक घर बचत योजना 2022 का उद्देश्य

भारतीय डाक घर बचत योजना का मुख्य उद्देश्य लोगो में बचत करने की जैसे अभियास को भड़ावा देना है। इसके के लिए कई सारे योजनाएं आरंभ किया जाता है, ये सभी योजनाएं पूरी तरह सुरक्षित होती है । क्योंकि पोस्ट ऑफिस पूरी तरह भारत सरकार द्वारा संचालित की जाती है | डाक घर में बचत करने पर निवेशको को अच्छी ब्याज दर भी दी जाती है। ताकि लोगो की आर्थिक स्तिथि भी बेहतर हो सके । इसके साथ ही ऋण में छूट का भी प्रावधान रखा गया है। सरकार भी इसे बंद नहीं कर सकती क्योंकि, इससे करोड़ों लोगो का भरोसा टूट सकता है ।

डाक घर बचत योजना के प्रकार

पोस्ट ऑफिस सेविंग खाता (account) भी बैंक की तरह ही होता है । इस खाते में भी बैंको की तरह 4% ब्याज दिया जा रहा है। पोस्ट ऑफिस सेविंग खाते में न्यूनतम 50 रुपए राशि होना अनिवार्य है।

सुकन्या समृद्धि योजना

इस योजना का आरंभ प्रधानमंत्री मोदी जी के कार्यकाल में आराम किया गया । यह योजना देश में लड़कियों को उच्च शिक्षा एवं उनके विवाह में कोई दिक्कत न आए इसलिए शुरू की गयी । योजना के अंतर्गत 7.6 प्रतिशत की ब्याज दर निर्धारित की गई है । इस योजना में निवेश करने के लिए न्यूनतम राशि 1000 रुपए और अधिकतम राशि 1,50,000 है । परंतु अब न्यूनतम राशि को घटाकर 250 रुपए कर दिया गया है । योजना के अंतर्गत खाता खोलने से लेकर 15 साल न्यूनतम राशि का निवेश करना अनिवार्य है ।

पब्लिक प्रोविडेंट फंड(PPF account)

पब्लिक प्रोविडेंट फंड यह एक लंबे अवधि वाला योजना है। इसकी अवधि लगभग १५ वर्ष है । इस योजना में ६.९%(6.9%) ब्याज दिया जाता है । अगर कोई इसमें निवेश करना चाहता है, tu इसकी न्यूनतम राशि ५०० रुपए है और अधिकतम राशि है १५०००० रुपए है । इस योजना से सातवें वर्ष में आंशिक निकासी की अनुमति भी है।

रिकरिंग डिपोजिट

रिकरिंग डिपोजिट के अंतर्गत कोई भी नागरिक प्रतेक महीने अपने कमाई का छोटा सा हिस्सा बचत कर सकता है। यह एक मासिक निवेश योजना है। इस योजना के अंतर्गत 5 साल की अवधि तय की गई है । योजना के तहत 5.8% ब्याज दर निश्चित की गई है। इस योजना में निवेश करने के लिए न्यूनतम राशि ₹10 रखी गई है तथा कोई भी अधिकतम राशि निर्धारित नहीं की गई है।

पोस्ट ऑफिस टाइम डिपोजिट योजना

पोस्ट ऑफिस टाइम डिपोजिट योजना के तहत विभिन्न तरीकों से निवेश कर सकते है। योजना के अंतर्गत न्यूनतम 200 रुपए से निवेश आरंभ कर सकते है । इस योजना में खोले गए खाते को किसी दूसरे को ट्रांसफर किया जा सकता है। इस खाते को चार कार्य कालों में विभाजित किया गया है। यदि आप 1 साल का डिपाजिट करते हैं तो 5.5% की ब्याज दर रखी गई है, 2 साल के लिए भी 5.5% की ब्याज दर है तथा 3 साल के लिए भी 5.5% की ब्याज दर रखी गई है। लेकिन अगर आप 5 साल के लिए डिपॉजिट करते हैं, तो 6.7% की ब्याज दर दी जाती है । साथ ही निवेश की गई राशि पर इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 80C के तहत छूट भी दी जाती है ।

नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट

पोस्ट ऑफिस सेविंग योजना में निवेश करने के लिए मेच्योरिटी पीरियड 5 वर्ष निर्धारित है । इस योजना में 6.8% ब्याज दर निर्धारित किया गया है। डाक घर योजना में निवेश करने हेतु न्यूनतम राशि 100 रुपए रखा गया है और अधिकतम राशि निर्धारित नही की गई है।

सीनियर सिटीजन बचत योजना

यह योजना का लाभ 60 वर्ष से अधिक आयु वाले नागरिक ले सकते है। इस योजना के अंतर्गत निवेश करने पर 7.6% ब्याज दर दी जाती है । यह योजना में निवेश करने हेतु न्युनतम राशि 1000 rs है ।. वहीं अधिकतम राशि आप 15 लाख रुपये तक निवेश कर सकते हैं । सीनियर सिटिजन सेविंग स्कीम के तहत निवेश पर 80C के तहत टैक्स में छूट भी दी गई है ।

किसान विकाश पत्र

किसान विकाश पत्र देश के नागरिकों के लिए है । यह योजना में निवेश पर 6.9% फीसदी की दर से ब्याज मिलता है। इस योजना में निवेश करने के लिए न्यूनतम राशि ₹1000 है तथा मैक्सिमम निवेश की कोई लिमिट नहीं तय की गई है । किसान विकाश पत्र में निवेश करने पर 10 साल 4 महीनो में निवेश डबल हो जाती है ।

पोस्ट ऑफिस मंथली इनकम स्कीम

इस योजना का लाभ 18 वर्ष पूर्ण होने पर कोई भी नागरिक इसका लाभ ले सकते है । योजना के तहत निवेशक को प्रतिमाह उनके निवेश पर एक तय आय प्रदान किया जाता है। इस योजना में निवेश करने की न्यूनतम राशि 1000 रुपए है । तथा इसमें अधिकतम सिंगल अकाउंट में 4.5 लाख रुपए और जाइंट अकाउंट में 9 लाख रुपए अधिकतम जमा कर सकते हैं । 1 अप्रैल 2020 के मुताबिक इस योजना में ब्याज दर 6​.6​ प्रतिशत है। तथा इस योजना की अवधि 5 वर्ष की होती है ।

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प्रधानमंत्री नारी शक्ति योजना 2022

किसी भी देश को समृद्ध होने के लिए समाज में जितना पुरुषो को सशक्त और आत्मनिर्भर होना आवश्यक है । उतना ही महिलाओं को भी । जिस देश में महिलाएं सशक्त(आत्मनिर्भर) ना हो, वह देश विश्व में आर्थिक रूप से सशक्त नही बन सकता । इस बात को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा प्रधानमंत्री नारी शक्ति योजना 2022 का आरंभ किया गया। जिससे देश में किसी भी महिला को किसी दूसरे पर निर्भर रहने की आवश्कता नही पड़ेगी। इस योजना के तहत महिलाओं को २.२० लाख रूपये की आर्थिक सहायता दी जाती है। ताकि महिलाएं अपना व्यापार आरंभ कर सके ।

यदि यह योजना कही सुन रहे है या कही देख रहे है, इसे आप बिल्कुल बिस्वास ना करे । यह योजना अफवाह यानी झूठी है । यह योजना लोगो को गुमराह करने हेतु फैलाई जा रही है। आपसे निवेदन है इस प्रकार के झूठी अफवाहों पर बिल्कुल भरोसा ना करे।

प्रधानमंत्री नारी शक्ति योजना 2022 अगर भविष्य में केंद्र सरकार द्वारा इस प्रकार की कोई योजना आरंभ होती है। तो हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से संपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे। अगर आपको भी ऐसी किसी योजना के बारे में पता है, तो कृपया करके इन अफवाहों से बचने का प्रयास करें।

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आत्मनिर्भर भारत अभियान 3.0: ऑनलाइन आवेदन लाभ व पात्रता

भारत मे लॉकडाउन 24 मार्च 2020 को लागू किया गया । इससे सभी लोग अपने घरों में कैद हो गए साथ ही सम्पूर्ण आवागमन, व्यापार सभी ठप हो गए । जिससे भारत की आर्थिक स्थिति चरमरा गई । इस आर्थिक स्थिती से उभरने के लिए सरकार द्वारा आत्मनिर्भर भारत अभियान का आरंभ किया गया । आत्मरिभर भारत १.० के सफलता के पश्चात २.० का आरंभ किया गया । आत्मनिर्भर भारत २.० के अपार सफलता के पश्चात भारत सरकार ने आर्थिक स्तिथि को ध्रुड करने के लिए ३.० का आरंभ किया गया । इस लेख में आप आत्मनिर्भर भारत ३.० के विषय में संपूर्ण जनकारी प्राप्त करेंगे । जैसे कि आत्मनिर्भर भारत अभियान क्या है?, इसके लाभ, विशेषताएं, पात्रता, आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत आने वाली योजनाएं, आवेदन प्रक्रिया, आदि ।

Table of Content
1.आत्मनिर्भर भारत ३.०
2.आत्मरिभर भारत अभियान ३.० का उद्देश्य
3.आत्मनिर्भर भारत 2021-2022 के बजट में की गई घोषणाएं
4.योजना के अंतर्गत किए जाने वाले खर्च
5.आत्मनिर्भर भारत अभियान के लाभार्थी
6.आत्मनिर्भर अभियान के निम्नलिखित विभाग

आत्मनिर्भर भारत ३.०(Atmanirbhar Bharat ३.0)

आत्मनिर्भर भारत कोरॉना से हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई के लिए आरंभ किया गया । अब तक आत्मनिर्भर भारत की २ फेज सुरुवात(लॉन्च) किया जा चुका है । दोनो फेज के अपार सफलता के फल स्वरूप अब भारत सरकार द्वारा तीसरा फेज भी आरंभ(लॉन्च) किया गया । जिसको आत्मनिर्भर भारत अभियान ३.०(तीसरा चरण) के नाम से जाना जाता है । आत्मनिर्भर अभियान 3.0(तीसरा चरण) के अंतर्गत नौकरी से लेकर व्यवसाय तक सभी क्षेत्रों को सामिल किया गया है ।

आत्मरिभर भारत अभियान ३.० का उद्देश्य

आप सभी जानते है कॉरोना संक्रमण के कारण पूरे भारत में लॉकडॉन लगाया गया था । जिससे सभी उद्योग, व्यापार, ट्रांपोर्ट ठप पड़ गए थे । इसके चलते भारत और भारत वासियों को आर्थिक स्तिथि से झुजना पड़ा । इस स्थिती से उभरने के लिए आत्मरिभर भारत अभियान का आरंभ किया गया । यह योजना के तहत विभिन्न प्रकार के योजनाओं को संचालित किया जायेगा । जिससे भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिले और जो हानि हुई है उसकी भरपाई हो सके । आत्मनिर्भर भारत अभियान का मुख्य उद्देश्य देश की आर्थिक स्थिति को सुधारना है जिससे कि देश की इकॉनमी वापस पहले जैसी हो सके ।

आत्मनिर्भर भारत 2021-2022 के बजट में की गई घोषणाएं

हमारे देश के वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन जी द्वारा १ फरबरी २०२१ के बजट में घोषणा की गई । इस बजट में आत्मनिर्भर भारत के संदर्भ में महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई । आत्मनिर्भर भारत कोरॉन काल के पश्चात आरंभ किया गया ताकि आर्थिक दृष्टि से सशक्त किया जा सके । आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत सरकार एवं रिजर्व बैंक के द्वारा 27.1 लाख करोड़ रुपए का निवेश किया गया है। जो की यह राशि भारत की जीडीपी का १३% है । निर्मला सीतारमन जी ने यह भी बताया कि पिछले वर्ष आत्मरिभर भारत योजना के अंतर्गत ३ पेकेज आरंभ किए गए । जो की ५ छोटे बजट के बराबर है ।

• आत्मनिर्भर भारत ३.० के अंतर्गत बुनियादी ढांचे को मजबूत करना, किसानों की आय को दोगुना करना, सुशासन, युवाओं के लिए अफसर, महिला सशक्तिकरण और अन्य विकास पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा ।

• 2021-22 का आम बजट स्वास्थ्य, भौतिक और वित्तीय पूंजी और बुनियादी ढांचा, आकांक्षातमक भारत के लिए समावेशी विकास, मानव पूंजी को फिर से विकसित करना, नवाचार और अनुसंधान एवं विकास तथा शासन में अधिकतमकरण पर आधारित है ।

योजना के अंतर्गत किए जाने वाले खर्च

कोरॉना के चलते भारत में पूर्ण लॉकडन लगाया गया था । जिससे व्यापारियों को भारी नुकसान का सामना का करना पड़ा । इसके चलते इस साल टैक्स रिवेन्यू ठीक तरीके से नहीं आने के कारण सभी राज्यों को कई सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है । इस कारण को ध्यान में रखते हुए सरकार ने और अधिक पूंजी निवेश करने को ध्यान दिया । ताकि भारत आत्मरिभर की ओर एक कदम और भड़ा सके । आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत वित्त मंत्रालय द्वारा 9879 करोड़ रुपए का पूंजीगत व्यय प्रदान करने की 27 राज्यों के अनुमति दे दी गई है। इस योजना का लाभ तमिलनाडु को छोड़कर देश के सभी राज्य उठा रहे हैं । इसके अतिरिक्त कई सारे कैपिटल एक्सपेंडिचर प्रोजेक्ट को भी मंजूरी दे दी गई है। जैसे हेल्थ, रूरल डेवलपमेंट, वाटर सप्लाई, इरिगेशन, ट्रांसपोर्ट, एजुकेशन एंड अर्बन डेवलपमेंट के छेत्र में है ।

आत्मनिर्भर भारत अभियान के लाभार्थी

आत्मानबीर भारत अभियान के प्रमुख लाभार्थी निम्नलिखित हैं: –

• श्रमिक (मजदूर / श्रमिक)

• दैनिक वेतन अर्जन

• किसान

• जो लोग देश के विकाश के लिए काम करते है

• मध्यम वर्ग के लोग जो सरकार को आयकर देते हैं

• उच्च वर्ग के लोग जो अर्थव्यवस्था को ताकत देते हैं

आत्मनिर्भर अभियान के निम्नलिखित विभाग

• आत्मनिर्भर भारत योजना को मुखियतः तीन चरणों में बाटा गया है । प्रथम चरण में उत्तर पूर्वी छेत्र आता है । जिसके लिए सरकार द्वारा २०० करोड़ रुपए आवंटित किया गया । आसाम की जनसंख्या तथा भौगौलिक क्षेत्र को देखते हुए ४५० करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं ।

• दूसरे चरण में वे सभी राज्य आते है जो प्रथम चरण में नही आए । इस चरण के अंतर्गत सरकार द्वारा ७५०० करोड़ रुपए आवंटित की गई ।

• आत्मनिभर भारत के तीसरे चरण के अंतर्गत सरकार द्वारा २००० करोड़ रुपए आवंटित किए गए । यह तीसरे भाग की राशि केवल उन्हीं राज्यों को प्रदान की जाएगी । जो सरकार द्वारा बताए गए चार सुधारों में से कम से कम तीन सुधार राज्यों में लागू करे । वह चार सुधार है, वन नेशन वन राशन कार्ड, इज ऑफ डूइंग बिजनेस रिफॉर्म, अर्बन लोकल बॉडीज/ यूटिलिटी रिफॉर्म तथा पावर सेक्टर रिफॉर्म है ।

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पीएम दक्ष योजना 2022: ऑनलाइन ट्रेनिंग रजिस्ट्रेशन व लॉगिन

भारत में बढ़ती हुई बेरोजगारी को देखते हुए राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार द्वारा पीएम दक्ष योजना आरंभ किया गया। ताकि बढ़ती हुई बेरोजगारी को नियंत्रण किया जा सके और लोगो को रोजगार के अवसर प्राप्त हो । योजना के तहत देश के अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग एवं सफाई कर्मचारी को लाभ पहुंचना है । सभी लोगो के रुचि अनुसार प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाएगा । इससे लोग अपनी प्रतिभा को उजागर कर सकेंगे और साथ में रोजगार भी कर सकेगें। इस लेख में जानेंगे किस प्रकार योजना का लाभ ले सकेंगे ?, कोन- कोन इस योजना का लाभ ले सकते है ?, आवेदन करने की प्रक्रिया आदि ।

Table of content
1. PM दक्ष योजना 2022
2. PM दक्ष योजना के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया
3. PM दक्ष योजना से लाभान्वित वर्ग
4. PM दक्ष योजना के लाभ
5. PM दक्ष योजना के हेतु पात्रता
6. पीएम दक्ष योजना के लिए आवश्यक दस्तावेज
7. PM दक्ष योजना 2022 के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिय
8. PM दक्ष पोर्टल में इंस्टीट्यूट रजिस्ट्रेशन करने की प्रक्रियाएं

PM दक्ष योजना 2022

PM दक्ष योजना और PM Daksh App की शुरुआत 5 अगस्त 2021 को केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री श्री वीरेंद्र कुमार जी के द्वारा की गई । इस योजना के माध्यम से अल्पकालिक एवं दीर्घकालिक कौशल प्रदान करके उनके कौशल स्तर को बढ़ावा दिया जायेगा । इसके साथ ही नागरिकों को रोजगार एवं व्यापार में मदद किया जायेगा । वर्ष 2021-22 में PM Daksh Yojana के माध्यम से 50000 युवाओं को लाभ प्रदान किया जाएगा । जिन प्रशिक्षु की उपस्थिति 80% से अधिक होगी उन्हें १००० हजार से लेकर ३००० हजार रुपए तक वेतन मुआवजे के रूप में दिया जायेगा ।

PM दक्ष योजना के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया

इस योजना में भाग लेने हेतु देश के युवाओं के लिए PM दक्ष योजना पोर्टल और मोबाइल एप का आरंभ किया गया है । जिससे किसी भी युवा को सरकारी कार्यालय के चकर काटने की जरूरत नहीं है । साथ ही भ्रष्टाचार को भी लगाम लगेगी । युवा अपना रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन कर सकते है । रजिस्ट्रेशन के पश्चात पास के किसी प्रसीक्षण केंद्र में जाकर प्रसीक्षण ले सकते है। युवा प्रसीक्षण के पश्चात कही पे भी जॉब कर सकते है, साथ ही निजी यवसाय भी आरंभ कर सकते है। इस योजना के माध्यम से अगले 5 वर्ष में 2.7 लाख युवाओं को लाभ प्रदान किया जाएगा ।

PM दक्ष योजना आवेदन के लिए लिंक

https://pmdaksh.dosje.gov.in/student

PM दक्ष योजना से लाभान्वित वर्ग

• अनुसूचित जनजाति के नागरिक एवं वर्ग

• पिछड़ा वर्ग

• आर्थिक स्थिति से कमजोर वर्ग

PM दक्ष योजना के लाभ

• PM दक्ष योजना की शुरुआत 5 अगस्त 2021 को केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री श्री वीरेंद्र कुमार जी के द्वारा किया गया ।

• इस योजना के तहत देश के अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग एवं सफाई कर्मचारी को लाभ पहुंचना है।

• योजना के माध्यम से युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान करके देश के बेरोजगार स्तर को कम करना है।

• इस योजना के माध्यम से अल्पकालिक एवं दीर्घकालिक कौशल प्रदान करके उनके कौशल स्तर को बढ़ावा दिया जायेगा।

• वर्ष 2021-22 में PM Daksh Yojana के माध्यम से 50000 युवाओं को लाभ प्रदान किया जाएगा ।

• किसी भी युवा को इस योजना का लाभ लेने के लिए सरकारी कार्यालय की चक्कर काटने की जरूरत नहीं है ।

• आप इस योजना का लाभ लेना चाहते है। इसके लिए लैपटॉप या मोबाइल के माध्यम से PM दक्ष योजना पोर्टल तथा मोबाइल एप के जरिए आवेदन कर सकते है ।

• केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग पीएम दक्ष योजना को संचालित किया जायेगा।

• अगले ५ वर्ष में PM दक्ष योजना के माध्यम से २.७ लाख युवाओं को लाभ पहुंचना है ।

• इस योजना के अंतर्गत प्रषिक्षण प्राप्त करने वाले युवाओं को सुल्क देने की आवास्यक नही है । (यानी निशुल्क या फ्री है)

• थोड़े समय या अधिक कलावधि पूर्ण करने पर (80% हाजिरी या उससे जादा) १००० हजार से लेकर ३००० हजार रुपए तक वेतन भत्ता प्रदान किया जाएगा ।

• प्रषिक्षण पूर्ण होने पर युवाओं को सर्टिफिकेट प्रदान किया जाएगा। इसे सरकार द्वारा मान्यता भी प्राप्त होगी ।

• सीक्षण पूर्ण होने पर योग्यता के अनुसार सरकार द्वारा रोजगार भी उपलब्ध (Placement) करवाया जायेगा।

PM दक्ष योजना के हेतु पात्रता

अगर कोइ युवक (नागरिक) योजना के लिए आवदेन करना चाहता है। उससे पूर्व उन्हें योजना के हेतु पात्रता का ज्ञान होना अनिवारिया है । इससे उस व्यक्ति की मेहनत व्यर्थ ना हो । नीचे दिए गए निम्नलिखित पात्रता संबंधित जानकारी को ध्यान पूर्वक पड़े ।

• योजना का लाभ देश के SC/ST/OBC, नोमेडिक (घुमंतू) और अर्ध घुमंतू (सेमि-नोमेडिक) नागरिक कर सकते है।

• केवल भारत के मूल निवासी ही आवेदन कर सकते है।

• आवेदन करने के लिए युवक की आयु १८ वर्ष से लेकर कर ४५ वर्ष के मध्य होना चाहिए ।

• देश के वे नागरिक आवेदन कर सकते है जो आर्थिक रूप से कमजोर हो तथा परिवार की सालाना आय १ लाख हो ।

• आवेदन करने के लिए सभी दस्तावेज होना अनिवार्य है।

• OBC (अन्य पिछड़ा वर्ग) से संबंध रखने वाले नागरिकों की सालाना आय 3 लाख से अधिक नहीं होनी चाहिए ।

PM दक्ष योजना के लिए आवश्यक दस्तावेज (Documents)

• आधार कार्ड
• आय प्रमाण पत्र
• निवास प्रमाण पत्र
• जाती प्रमाण पत्र (Cast certificate)
• मोबाइल नंबर
• फोटो (पासपोर्ट साइज)
• सेल्फ डिक्लेशन फर्म

PM दक्ष योजना 2022 के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया

यदि आप पीएम दक्ष योजना के लिए आवेदन करना चाहते है । उसके लिए निम्नलिखित तरीको से आवेदन कर सकते है ।

• सबसे पहले पीएम दक्ष योजना के ऑफिशियल वेब साइट में जाए ।
• इससे आपके सामने वेब साइड का ऑफिशियल पेज खुल कर आ जायेगा । यहां पर आपको कैंडिडेट रजिस्ट्रेशन ऑप्शन दिखेगा उसपे क्लिक करना है ।
• अब आपके सामने नया पेज खुलकर आ जायेगा।
• इस पेज पर निम्नालिखित सवालों के जवाब देना है ।

1) नाम, 2) पिता/पति का नाम, 3) जन्मतिथि,
4) लिंग, 5) राज्य, 6) जिला,
7) पता, 8) केटेगरी, 9) लोकेशन,
10) शैक्षिक योग्यता। 11) मोबाइल नंबर आदि ।

• अब आपको अपना फोटो अपलोड करना होगा ।
• इसके पश्चात आपके मोबाइल पे OTP आएगा । OTP को OTP बॉक्स में फील कर देंगे । तब पश्चात नेक्स्ट(next) पैरक्लिक करना होगा ।
• अब इस पेज में बैंक खाता (Account number) दर्ज करना होगा ।
• फिर सबमिट बटन पर क्लिक कर देंगे ।
• इस प्रकाश PM दक्ष योजना के लिए आवेदन कर सकते है ।

PM दक्ष पोर्टल में इंस्टीट्यूट रजिस्ट्रेशन करने की प्रक्रियाएं

अगर कोई लाभार्थी अपने किसी नजदीकी शाखा में अपना नाम दर्ज करवाना चाहते है तो भी कर सकते है। किस प्रकार अपना नाम दर्ज कर सकते है, नीचे लेख में दिया गया है ।

• सर्वप्रथम आवेदक को PM दक्ष योजना के ऑफिशियल वेबसाइट में जाए।
• अब आपके सामने वेबसाइट का होम पेज खुल कर आ जायेगा।
• इस पेज में आपको इंस्टिट्यूट रजिस्ट्रेशन के ऑप्शन पर क्लिक कर देंगे ।
• अब आपके सामने नया पेज खुलकर आ जायेगा।
• इस पेज में कुछ जानकारी पूछी जाती है जैसे ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट का नाम, राज्य, जिला, इंस्टिट्यूट का पता, लीगल एंटिटी, ईमेल एड्रेस, रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर, असेसमेंट बॉडी(ऑप्शनल) आदि को भरना है ।
• इसके पश्चात डॉक्यूमेंट मांगने पर स्कैन कॉपी भी अपडेट कर देंगे ।
• भरे गए आवेदन(फर्म) को अच्छे से जांच ले ताकि कोई गलती ना हो । तब पश्चात सबमिट बटन पर क्लिक कर दे ।
• इस तरह इंस्टिट्यूट रजिस्ट्रेशन करने की प्रक्रिया पूर्ण कर सकते है ।

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E Shram Card 2022

E shram card yojana :
E shram card 2022 केंद्र सरकार द्धारा भारत वर्ष में आरंभ किया गया । इसके अंतर्गत देश के तमाम संगठित और असंगठित क्षेत्रों में काम करने वाले मजदूरों को लाभावनित करना हैं। इस योजना का लाभ लेनें के पुर्व हर उस वेक्ति को, E shram card 2022 पोर्टल में अपना पंजीकरण करना अनिवार्य हैं। यदि अपने अपना पंजिकरण कर लिया है या पंजीकरण करना चाहते है। इस लेख के माध्यम से आप जानेंगे किस प्रकार इस योजना का लाभ ले सकते है। और साथ ही पंजीकरण की सभी प्रक्रियाएं । अधिक जानकारी के लिए बने रहे।

Table Of Content
1. E Shram card

2. E shram card के लाभ
3. ई-श्रम पोर्टल पर मिलने वाली विभिन्न योजनाएं
3.1 प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना
3.2 प्रधानमंत्री आवास योजना
3.4 अटल पेंशन योजना
3.5 आयुष्मान भारत प्रधान मंत्री आरोग्य योजना
3.6 प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना
3.7 नेशनल पेंशन स्कीम
3.8 प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना
3.9 मनरेगा
3.1.1 दीनदयाल उपाध्याय
ग्रामीण कौशल योजना
3.1.2 प्रधानमंत्री स्वनिधि
3.1.3 प्रधानमंत्री कौशल योजना
3.1.4प्रधानमंत्री एम्प्लॉयमेंट जनरेशन
प्रोग्राम
4. ई श्रमिक के लिए आवश्यक
दस्तावेज(Document)
5. ई-श्रम कार्ड ऑनलाइन अप्लाई करते समय
किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
6. ई-श्रम कार्ड रजिस्टर करने की प्रक्रियाएं

E Shram card :
ई शर्म कार्ड योजना का आरंभ केंद्रीय रोजगार मंत्री भूपेंद्र यादव द्वारा किया गया। E shram card द्वारा ३८ करोड़ असंगठित का डाटाबेस तैयार करेगी । इस योजना के तहत देश के सभी मजदूरों जैसे फेरी वाले, सब्जी वाले, और घरेलु कामगारों आदि को जोड़ा जाएगा। १५ जुलाई २०२२ तक ई श्रम कार्ड पर ५.३७ करोड़ असंगठित श्रमिकों द्वारा पंजीकरण करवा लिया गया है। इन सभी श्रमिकों में से अधिकतर श्रमिकों के पास बैंक खाता नहीं है और जिनके पास है, उन सभी श्रमिकों के बैंक खातों से आधार कार्ड लिंक नहीं है। जिससे सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी का लाभ श्रमिकों को नही मिल पाता हैं। इस कारण सरकार द्वारा मलग अलग बैंकों को आदेश दिया गया की, बैंक सुनिश्चित करे सभी लोगो के बैंक खाते से आधार लिंक हो । आधार कार्ड लिंक होने से पंजीकरण की प्रक्रिया में तेजी आएगी ।

E shram card के लाभ :

ई-श्रम कार्ड का सबसे अधिक लाभ असंगठित श्रमिकों को पहुंचाना हैं । ई श्रम कार्ड पोर्टल द्वारा देश में काम कर रहे असंगठित श्रमिकों का डेटा मिल जायेगा । जिससे भविष्य में सरकार द्वारा दी जाने वाली सुविधाएं श्रमिकों को मिल सके।इसके माध्यम से देश के लगभग 38 करोड़ असंगठित श्रमिकों को रजिस्टर करवाया जायेगा। अभी तक कुल 19 करोड़ श्रमिकों का रजिस्टर करवा लिया गया हैं। देश में चल रही विभिन्न योजनाओं को एक ही पोर्टल में लाना हैं।इस योजना से सब्जी वाले, फेरीवाले, रोड पर काम करने वाले, और कंस्ट्रक्शन पे काम करने वाले आदि लोगो को लाभावानित करना हैं।सरकार के पास ई श्रम पोर्टल एक बेहतरीन ऑप्शन होगा। जिससे भविष्य में आने वाली कोरोना जैसी महामारी के वक्त श्रमिकों को सीधे तौर पे सहायता पहुंचाया जा सकेगी ।

ई-श्रम पोर्टल पर मिलने वाली विभिन्न योजनाएं :
ई श्रम पोर्टल के माध्यम से कई अन्य योजनाएं एक ही स्थान पर उपलब्ध कराया जा रहा हैं। जैसे की, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, अटल पेंशन योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा योजना, नेशनल पेंशन योजना आदि। इन सभी योजनाओं का लाभ ले सकते हैं।

प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना :
प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना को डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल द्वारा संचालित किया जाता हैं। इस योजना के लिए हम पास के किसी भी बैंक से सब्सक्रिप्शन ले सकते हैं। कोई भी वक्ति जो इस योजना के लिए पंजीकरण किए हैं। किसी भी कारण वश उस यक्ति का निधन हो जाता हैं। ऐसे में नॉमिनी को 2 लाख रूपए तक की दवा राशि दी जाती हैं।

प्रधानमंत्री आवास योजना :
इस योजना के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में जरूरतमंदों को उनके घर बनाने के लिए सरकार द्वारा आर्थिक सहायता दी जाती हैं। इस योजना के तहत 1.2 लाख की आर्थिक सहायता दी जाती हैं, वही पहाड़ी इलाकों में ये राशि भड़कर 1.3 लाख तक दी जाती हैं।

अटल पेंशन योजना :
अटल पेंशन योजना के माध्यम से 60 वर्ष की आयु पूरी होने के पश्चात पेंशन प्रदान की जाती है। इस योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए लाभार्थी को 18 वर्ष से 40 वर्ष की आयु के बीच निवेश करना अनिवार्य है । लाभान्वित को 60 वर्ष आयु पूर्ण होने पर 1 हजार से 5 हजार रुपए तक पैंशन के रूप में दी जाती है । यदि लाभान्वित व्यक्ति की किसी कारण वश मृत्यु हो जाती है । ऐसे में नॉमिनी को पेंशन दी जाती है।

आयुष्मान भारत प्रधान मंत्री आरोग्य योजना :
यह योजना मध्यम वर्ग और लोअर वर्ग के लिए वरदान साबित हुई । इस योजना के तहत हर जरूरत मंद और गरीब परिवार को 5 लाख रूपए तक बीमा कवर दिया जाता है। जिससे व्यक्ति अपना इलाज किसी भी अच्छे हॉस्पिटल में करवा सकता है ।

प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना :
इस योजना का लाभ 18 वर्ष से लेकर 40 वर्ष के भीतर व्यक्ति ले सकते है। इसके लिए व्यक्ति को प्रति माह Rs 55 से लेकर Rs 200 जमा करना होगा। जिससे व्यक्ति के 60 वर्ष (आयु) पूर्ण होने पर 3 हजार रुपए प्रति माह पेंशन के रुप में दिया जायेग । इसके आलावा व्यक्ति की मृत्यु हो जाने पर पेंशन की 50% (प्रतिशत) उसकी पत्नी या उसके पति को दिया जाता है।

नेशनल पेंशन स्कीम :
नेशनल पेंशन स्कीम भारत के सभी नागरिकों के लिए है। स्कीम में निवेश करने के लिए निवेशक की उम्र 18 से 60 वर्ष के बीच होनी चाहिए। इस योजना के माध्यम से 60 वर्ष की आयु होने के बाद पेंशन प्रदान की जाती है। इसमें व्यक्ति जो राशि जमा करता है उतनी ही राशि सरकार द्वारा भी जमा की जाती है । इसके बाद पेंशन दी जाती है।

प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना :
प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना में जो व्यक्ति अपना पंजीकरण करवाता है। उस व्यक्ति की सड़क दुर्घटना या किसी अन्य दुर्घटना में मृत्यु हो जाती है। ऐसे में नॉमिनी को 2 लाख रूपए तक दिया जाता है । इसके अलावा व्यक्ति अपंग हो गया हो तो ऐसे में 1 लाख रुपए दिए जाते है ।

मनरेगा :
मनरेगा योजना में ग्रामीण लोगों को अपने परिवेश में ही रोजगार प्राप्त करवाना है । केंद्र सरकार ने इस योजना के अंतर्गत 100 कार्य दिवस के रोजगार की गारंटी दी है | इस योजना के अंतर्गत परिवार के वयस्क सदस्य के द्वारा आवेदन किया जाता है, आवेदन होने के 15 दिन के अंदर रोजगार प्रदान किया जाता है। यदि किसी कारणवश 15 दिन के अंदर रोजगार प्राप्त नहीं होता है, तो सरकार के द्वारा उसे बेरोजगारी भत्ता प्रदान किया जाता है । यह भत्ता पहले 30 दिन का एक चौथार्इ होता है, 30 दिन के बाद यह न्यूनतम मजदूरी दर का पचास प्रतिशत प्रदान किया जाता है |

दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना :
दीनदयाल उपाध्याय योजना के अंतर्गत ग्रामीण बेरोजगार युवाओं को अलग-अलग किस्म के कामों की ट्रेनिंग देना है। योजना से प्राप्त होने वाला प्रमाण पत्र पूरे भारत देश में माना जाएगा। इस योजना से ज्यादा से ज्यादा युवाओं को लाभ मिल सके इसके लिए अलग-अलग राज्यों में प्रशिक्षण केंद्र बनाए जाएंगे। दीनदयाल उपाध्याय योजना के तहत 200 से ज्यादा अलग-अलग कामों को शामिल किया गया है । जिसमें अपनी रुचि के हिसाब से ट्रेनिंग लेकर युवा उसमें निपुण हो सके ।

प्रधानमंत्री स्वनिधि :
पीएम स्वानिधि योजना के तहत 2022 तक 50 लाख से अधिक लोगो तक लाभ पहुंचाना है। इस योजना के तहत नागरिकों को अपना छोटा-मोटा काम आरंभ करने के लिए 10 हजार रुपए तक लोन दिया जायेगा। इसके लिए कोई भी दस्तावेज देने की जरूरत नही है। यदि कोई उम्मीदवार समय पर किस्त जमा नही कर पाता है तो उसे सजा का कोई प्रावधान नहीं जायेगा । इसके अलावा उम्मीदवार समय पर किस्त चुका देता है तो इसके लिए उसे लोन पर 7 प्रतिशत की सब्सिडी दी जाएगी। और ये सब्सिडी 6 माह में आपके खाते में ट्रांसफर कर दिए जायेंगे।

प्रधानमंत्री कौशल योजना :
इस योजना का लाभ देश के 10वीं, 12वीं कक्षा ड्राप आउट (बीच में स्कूल छोड़ने वाले) युवा ले सकते है। युवाओ को इस योजना के तहत रोजगार प्राप्त करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में निशुल्क प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। युवाओ को उनके योग्यता के अनुसार रोजगार मुहिया करवाया जायेगा।

प्रधानमंत्री एम्प्लॉयमेंट जनरेशन प्रोग्राम :
इस योजना के तहत बेरोजगार युवाओं को खुद का रोजगार शुरू करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा 10 लाख से लेकर 25 लाख रूपये तक प्रदान किया जाएगा । युवाओं को जाति और इलाको के अनुसार सब्सिडी भी दी जाएगी। इस योजना में देश के शहरी और ग्रामीण दोनो क्षेत्रों के बेरोजगार युवाओं को लोन मुहैया करवाया जायेगा । ताकि वे सभी आत्मरिभार बन सके।

ई श्रमिक के लिए आवश्यक दस्तावेज(Document)
ई-श्रम कार्ड बनाने के लिए आवश्यक दस्तावेज निम्नलिखित है । –

• आधार कार्ड
• मोबाइल नंबर (वही नंबर जो आधार से लिंक हो)
• बैंक खाता पासबुक
• आयु प्रमाण पत्र (PAN कार्ड दे सकते है) (आयु   16 से 59 के बीच होना अनिवार्य है)
• पासपोर्ट साइज फोटो 
• राशन कार्ड 
• निवास प्रमाण पत्र 

ई-श्रम कार्ड ऑनलाइन अप्लाई करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

• आवेदन करने के पूर्व सभी दिशा निर्देशों को अच्छे से पड़ ले । अच्छे से समझ ले, ताकि भविष्य में कोई असुविधा ना हो।
• आवेदन करते समय ध्यान रखे सभी जानकारी सही और सटीक हो, अन्यथा आवेदन स्वीकार भी नही किया जाएगा ।
• सभी ओरिजिनल दस्तावेज अपने पास रखे ताकि जरूरत पड़ने पर स्कैन करके अपलोड भी कर सकते है।
• यदि आप सक्षम है, तो आप अपना आवदेन खुद ही करे ।

ई-श्रम कार्ड रजिस्टर करने की प्रक्रियाएं

ई श्रम कार्ड के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होता है । इसके लिए नीचे दिए गए लिंक पे क्लिक करे । इससे ऑफिशियल वेब साइड में आ जाएंगे जहा पर ऑनलाइन आवदेन कर सकते है।

लिंक : https://register.eshram.gov.in/#/user/self

जैसे ऊपर दिए लिंक पे क्लिक करते है । वैसे ही सामने ये पेज खुल के आ जायेगा ।

यहां पर आपको अपना मोबाइल नंबर(जो आधार कार्ड से लिंक हो) दर्ज करे। इसके बाद कोड को कैप्चा करे । उसके बाद epfo या esic में रजिस्टर है या नही क्लिक करे।

• इसके बाद रजिस्टर मोबाइल नंबर पर OTP आएगा। OTP को दिए गए बॉक्स में फील करना है। तब पश्चात सत्यापिक विकल्प पर क्लिक करे।
• अब आपके सामने ई-श्रम कार्ड का फॉर्म खुल कर आ जायेगा । यहा पर सभी जानकारी सही और सटीक फील करे । साथ ही सावधानी पूर्वक सबमिट करे ।
• अब आपको कुछ ही क्षणों में 12 अंको वाला कोड मिल जायेगा ।

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अग्निपथ योजना 2022: Agneepath Yojana चयन प्रक्रिया

भारत में कई विद्यार्थी और नागरिक ऐसे है जो सेना में भर्ती होना चाहते है। भारत माँ की सुरक्षा करते हुए मर मिटना चाहते है और कुछ कर जाना चाहते है। इस बात को ध्यान में रखते हुए देश के रक्षा मंत्री Rajnath Singh जी के द्वारा अग्निपथ योजना का आरंभ किया। इस लेख में अग्निपथ योजना के सभी महत्वपूर्ण विषयों की जानकारी दी जायेगी। जैसे किस प्रकार आवेदन कर सकते हैं। एवम चयन की सभी प्रक्रिया। आइए अब जानते हैं, किस प्रकार अग्निपथ योजना का लाभ ले सकते है।

Table Of Content
1 अग्निपथ योजना
• अग्निपथ योजना की पूरी जानकारी
• अग्निपथ योजना का मुख्य उद्देश्य
• अवधि पूरा होने पर प्राप्त होने वाली सुविधाएं
• अग्निवीरो की भरती
• अग्निपथ योजना की कमियां
• अग्निपथ भर्ती योजना के लिए आवश्यक दस्तावेज

अग्निपथ योजना की पूरी जानकारी :
भारत सरकार द्वारा अग्निपथ योजना आरंभ किया गया है। भारतीय सेना में जो युवा आवेदन करना चाहते है और अपना सपना साकार करना चाहते है। वे सभी आवेदन कर सकते है। इस योजना के माध्यम से थलसेना, नौसेना और वायुसेना तीनो में आवेदन कर सकते है। यह भरती अग्निपथ योजना के तहत की जाएगी। इस योजना के अंतर्गत देश के युवा वर्ग जिनकी उम्र सीमा 17.5 से 23 वर्ष के बीच है। वे आवेदन कर सकते है। योजना के अंतर्गत जवानों को 4 वर्ष के लिए भरती कि जायेगी। इन 4 सालो के भरती के दौरान 6 महीनो की बेसिक ट्रेनिंग भी दी जायेगी। इसके अलावा निष्कासित के वक्त इन्हे सेवा निधि भी दी जायेगी। इस योजना के तहत भरती किए गए नौजवानों को अग्निवियर कहा जायेगा।

अग्निपथ योजना को मंजूरी मंत्रिमंडल समिति के बैठक में दी गई। सरकार द्वारा इस योजना का आरंभ 14 June 2022 को किया गया। यह योजना का मुख्य उद्देश्य अधिकतर लोगों को रोजगार प्रदान करना है। और देश को सुरक्षा प्रदान करना है। इस योजना के संचालन से देश को और मजबूत बनाया जा सकेगा । यह योजना के आरंभ करने के पूर्व तीनो सेना के प्रमुख (Chif) द्वारा प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी को योजना का projection भी प्रदान किया

अग्निपथ योजना का मुख्य उद्देश्य :
अग्निपथ योजना का मुख्य उद्देश्य युवाओं को रोजगार प्रदान करना है। इस योजना के तहत युवाओं को 4 वर्ष के लिए भारतीय सेना में सामिल किया जाएगा। इससे बोहत से युवाओं का सपना साकार होगा । और बेरोजगारी की मात्रा कम होगी। इसके अलावा इस योजना के संचालन से देश की सुरक्षा को मजबूती प्रदान किया जाएगा। युवाओं को 4 वर्ष के भीतर सेना की highskill training प्रदान की जाएगी। इस training के माध्यम से वह प्रशिक्षित एवं अनुशासित बन सकेंगे । और नौजवान सशक्त एवम आत्मनिर्भर बन सकेंगे। इस योजना के संचालन से जवानों की औसतन उम्र घटकर 26 साल की हो जाएगी। इसके अलावा इन सभी युवाओं में से 25% नौजवानों को सेवा में रखा भी जायेगा।

अवधि पूरा होने पर प्राप्त होने वाली सुविधाएं :
अग्निपथ योजना के अंतर्गत नियुक्त किए गए नौजवानों की कार्यकाल समाप्त होने के पश्चात रक्षा बलों द्वारा सैनिकों को आगे सेवा में भी रखा जा सकता है। इन सभी नौजवानों में से लगभग 25% नौजवानों को सेवा में रखा जाएगा और अधिकतर जवानों को 4 वर्ष के पश्चात निष्कासित कर दिया जायेगा। परंतु रिटायरमेंट के पश्चात सैनिकों को government द्वारा सहायता भी प्राप्त होगी । जिससे सैनिक पुलिस, बैंक जॉब, और स्कूल टीचर आदि में आवेदन कर सकते है। या यवसाय भी कर सकते हैं । सैनिकों की सहायता के लिए कॉरपोरेट कंपनी भी जॉब देने के लिए आगे आ रहे है।

जवानों को अवधि पूरी होने के पश्चात 11.71 lakh का tax free service fund package प्रदान किया जाएगा। इस योजना के तहत कुल 46000 युवाओं को भरती किया जाएगा। इसके अलावा इसमें लड़कियों का भी चयन किया जाएगा। योजना के तहत आने वाले 90 दिनों के भीतर भरती आरंभ की जायेगी। अग्निविरो की ट्रेनिंग 10 हफ्तों से लेकर 6 महीनों तक निर्धारित किया गया है।

अग्निवीरो की भरती:
इस योजना के अंतर्गत अग्निविरो की पहली बटालियन 21 नवंबर को प्रशिक्षण स्थान पर हाजिर होगी। एस्केसाथ ही भरती किए गए जवानों की रैली August, September और octumber में की जाएगी। अग्निवीरो की दूसरी बटालियन की भरती अगले वर्ष 2023 में होगी। इसके साथ ही nevi में 25 जून तक
AIBM (advertisement information broadcast ministry) के पास पहुंचाया जाएगा। नेवी का पहला जत्था 21 नवंबर को INS Chilka Orissa में report करेगा ।

अग्निपथ योजना की कमियां :
अग्निपथ योजना के प्रथम वर्ष में 45000 सैनिकों की भरती की जायेगी। परंतु केवल 4 वर्ष के लिए भरती किया जाएगा। इन सभी जवानों में से लगभग 25% जवानों को ही सेवा में रखा जाएगा। और बाकी जवानों को निस्काशित कर दिया जायेगा।

अग्निपथ योजना के अंतर्गत सेना के जवानों को उनके 4 वर्ष का कार्यकाल समाप्त होने पर 11 लाख रुपये से थोड़ा अधिक की एकमुश्त राशि दी जाएगी। हालांकि उन्हें कोई पेंशन लाभ नहीं मिलता है। अधिकांश लोगो के लिएअपने और अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए दूसरी नौकरी की तलाश करना आवश्यक हो जाता है।

इस योजना के माध्यम से सेना में कार्य करनें वाले लोगो में सैन्य संस्कृति, व्यावसायिकता और युद्ध की भावना कमजोर हो जाएगी। इसके अलावा महत्वपूर्ण गुप्त जानकारी दुस्मानो तक पहुंचने की संभावना अधिक होती है।

अग्निपथ भर्ती योजना के लिए आवश्यक दस्तावेज :

आधार कार्ड
पैन कार्ड
पासपोर्ट साइज फोटो
मोबाइल नंबर
बैंक खाता विवरण
शैक्षणिक योग्यता प्रमाण पत्र(10th, 12th certificate)
निवास प्रमाण पत्र